भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम सहायक नदियाँ,महत्व,विशेषताएँ उद्गम स्थल

भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम भारत में कई प्रकार की नदियां बहती है जिसमें से कुछ बड़ी नदियां तथा कुछ छोटी नदियां होती है भारत को नदियों का देश भी कहा जाता है इसलिए भारत में नदियां भारत की जीवन रेखा भारत की कई राज्यों में नदियों से सिंचाई जलापूर्ति तथा बांध बनाकर बिजली की उत्पादन किया जाता है भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम निम्नलिखित हैं जिनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई हैभारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम इस प्रकार

गंगा – भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

भारत की सबसे लंबी नदी और दुनिया की तीसरी सबसे लंबी नदी। यह हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है

गंगा नदी भारत की सबसे लंबी और सबसे पवित्र नदी है। यह उत्तराखंड में हिमालय के गंगोत्री हिमनद से निकलती है और पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गंगा नदी की कुल लंबाई 2,525 किलोमीटर (1,570 मील) है।

गंगा नदी के किनारे कई प्राचीन शहर और धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग, प्रयागराज, वाराणसी, और कोलकाता शामिल हैं। गंगा नदी के तट पर स्थित इन शहरों का भारत की संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है।

गंगा नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। गंगा नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, गंगा नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गंगा नदी की सहायक नदियाँ

गंगा नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें यमुना, रामगंगा, काली, सरयू, गंडक, सोन, महानंदा, कोसी, और ब्रह्मपुत्र शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण गंगा नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

गंगा नदी के प्रदूषण

गंगा नदी का जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। गंगा नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से गंगा नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

गंगा नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गंगा नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत गंगा नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

गंगा नदी का महत्व

गंगा नदी भारत की संस्कृति, धर्म, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। गंगा नदी भारत की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ब्रह्मपुत्र – भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

ब्रह्मपुत्र नदी चीन, भारत और बांग्लादेश में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह तिब्बत के पुरंग जिले में मानसरोवर झील के निकट स्थित आंग्सी ग्लेशियर से निकलती है। तिब्बत में बहते हुए यह नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है और फिर असम राज्य में प्रवेश करती है। असम में यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है।

ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई लगभग 2,900 किलोमीटर (1,800 मील) है। यह दुनिया की 12वीं सबसे लंबी नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी की औसत चौड़ाई लगभग 1.5 किलोमीटर (1 मील) है।

ब्रह्मपुत्र नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें दिहांग, लोहित, सुबनसिरी, बराक और मेघना शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण ब्रह्मपुत्र नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक है।

ब्रह्मपुत्र नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। ब्रह्मपुत्र नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से ब्रह्मपुत्र नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

ब्रह्मपुत्र नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत और बांग्लादेश सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत ब्रह्मपुत्र नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

नर्मदा-भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

नर्मदा नदी भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है। नर्मदा नदी को “मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा” कहा जाता है।

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार से निकलती है। यह नदी पश्चिम की ओर बहती है और गुजरात में खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1,312 किलोमीटर (815.2 मील) है।

नर्मदा नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें शेर, तवा, चंबल, सोन, और माही शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण नर्मदा नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

नर्मदा नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, नर्मदा नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नर्मदा नदी की विशेषताएँ

  • नर्मदा नदी भारत की एकमात्र नदी है जो पश्चिम की ओर बहती है।
  • नर्मदा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो किसी भी हिमालय से नहीं निकलती है।
  • नर्मदा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो किसी भी पर्वत श्रृंखला के बीच बहती है।
  • नर्मदा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो किसी भी अन्य नदी से मिलती नहीं है।

नर्मदा नदी का महत्व

नर्मदा नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, नर्मदा नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नर्मदा नदी का धार्मिक महत्व भी है। नर्मदा नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। नर्मदा नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें ओंकारेश्वर, अमरकंटक, और नर्मदापुरम शामिल हैं।

नर्मदा नदी के प्रदूषण

नर्मदा नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। नर्मदा नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से नर्मदा नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

नर्मदा नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा नर्मदा नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत नर्मदा नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

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ताप्ती – भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

ताप्ती नदी भारत की एक प्रमुख नदी है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है। ताप्ती नदी को “भारत की दूसरी सबसे लंबी पश्चिमी नदी” कहा जाता है।

ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुल्ताई से निकलती है। यह नदी पश्चिम की ओर बहती है और गुजरात में खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। ताप्ती नदी की कुल लंबाई 724 किलोमीटर (450 मील) है।

ताप्ती नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें मन, पारणा, कान, चंबल, और माही शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण ताप्ती नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

ताप्ती नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, ताप्ती नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ताप्ती नदी की विशेषताएँ

  • ताप्ती नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी पश्चिमी नदी है।
  • ताप्ती नदी भारत की एकमात्र नदी है जो सतपुड़ा पर्वतमाला से निकलती है।
  • ताप्ती नदी भारत की एकमात्र नदी है जो खंभात की खाड़ी में मिलती है।

ताप्ती नदी का महत्व

ताप्ती नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। ताप्ती नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, ताप्ती नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ताप्ती नदी का धार्मिक महत्व भी है। ताप्ती नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। ताप्ती नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें हरिहरपुर, भुसावल, और सूरत शामिल हैं।

ताप्ती नदी के प्रदूषण

ताप्ती नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। ताप्ती नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से ताप्ती नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

ताप्ती नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा ताप्ती नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत ताप्ती नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

ताप्ती नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • ताप्ती नदी का नाम सूर्यपुत्री ताप्ती के नाम पर रखा गया है।
  • ताप्ती नदी को “भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी” भी कहा जाता है।
  • ताप्ती नदी के तट पर स्थित सूरत भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है।

गोदावरी-भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। गोदावरी नदी को “दक्षिण भारत की गंगा” भी कहा जाता है।

गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबक पहाड़ी से निकलती है। यह नदी पूर्व की ओर बहती है और आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गोदावरी नदी की कुल लंबाई 1,465 किलोमीटर (910 मील) है।

गोदावरी नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें दारणा, प्रवरा, वैनगंगा, मांजरा, इंद्रावती, आदि शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण गोदावरी नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

गोदावरी नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, गोदावरी नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गोदावरी नदी की विशेषताएँ

  • गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
  • गोदावरी नदी भारत की एकमात्र नदी है जो महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर बहती है।
  • गोदावरी नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो पश्चिमी घाट से निकलती है।

गोदावरी नदी का महत्व

गोदावरी नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। गोदावरी नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, गोदावरी नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गोदावरी नदी का धार्मिक महत्व भी है। गोदावरी नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। गोदावरी नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें त्र्यंबक, नासिक, और राजमुंद्री शामिल हैं।

गोदावरी नदी के प्रदूषण

गोदावरी नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। गोदावरी नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से गोदावरी नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

गोदावरी नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गोदावरी नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत गोदावरी नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

गोदावरी नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • गोदावरी नदी का नाम गोदावरी नामक एक देवी के नाम पर रखा गया है।
  • गोदावरी नदी के तट पर स्थित राजमुंद्री भारत का सबसे पुराना बंदरगाह है।
  • गोदावरी नदी के डेल्टा में स्थित कोरिंगा मैंग्रोव वन भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।

कृष्णा -भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

कृष्णा नदी भारत की तीसरी सबसे लंबी नदी है। यह पश्चिमी घाट के महाबलेश्वर से निकलती है और दक्षिण भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है। कृष्णा नदी की कुल लंबाई 1,400 किलोमीटर (870 मील) है।

कृष्णा नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें तुंगभद्रा, भीमा, कावेरी, पेनंगा, घटप्रभा, आदि शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण कृष्णा नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

कृष्णा नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, कृष्णा नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कृष्णा नदी की विशेषताएँ

  • कृष्णा नदी भारत की तीसरी सबसे लंबी नदी है।
  • कृष्णा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो पश्चिमी घाट से निकलती है।
  • कृष्णा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

कृष्णा नदी का महत्व

कृष्णा नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। कृष्णा नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, कृष्णा नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कृष्णा नदी का धार्मिक महत्व भी है। कृष्णा नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। कृष्णा नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें महाबलेश्वर, कोयना, भीमाशंकर, और विजयवाड़ा शामिल हैं।

कृष्णा नदी के प्रदूषण

कृष्णा नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। कृष्णा नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से कृष्णा नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

कृष्णा नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा कृष्णा नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत कृष्णा नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

कृष्णा नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • कृष्णा नदी का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा गया है।
  • कृष्णा नदी के तट पर स्थित विजयवाड़ा भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है।
  • कृष्णा नदी के डेल्टा में स्थित कृष्णा-गोदावरी डेल्टा भारत का सबसे बड़ा डेल्टा है।
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कावेरी -भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

कावेरी नदी भारत की चौथी सबसे लंबी नदी है। यह कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से होकर बहती है। कावेरी नदी को “दक्षिण भारत की गंगा” भी कहा जाता है।

कावेरी नदी कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले के पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है। यह नदी पूर्व की ओर बहती है और तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। कावेरी नदी की कुल लंबाई 800 किलोमीटर (500 मील) है।

कावेरी नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें सिमसा, हेमावती, भवानी, लक्ष्मण तीर्थ, नोयाल और आर्कावती शामिल हैं। इन सहायक नदियों के कारण कावेरी नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

कावेरी नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, कावेरी नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कावेरी नदी की विशेषताएँ

  • कावेरी नदी भारत की चौथी सबसे लंबी नदी है।
  • कावेरी नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो पश्चिमी घाट से निकलती है।
  • कावेरी नदी भारत की एकमात्र नदी है जो कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से होकर बहती है।

कावेरी नदी का महत्व

कावेरी नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, कावेरी नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कावेरी नदी का धार्मिक महत्व भी है। कावेरी नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। कावेरी नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें तिरुचिरापल्ली, श्रीरांगापात्ना, तंजावुर, तालाकाडू शामिल हैं।

कावेरी नदी के प्रदूषण

कावेरी नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। कावेरी नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से कावेरी नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

कावेरी नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा कावेरी नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत कावेरी नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

कावेरी नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • कावेरी नदी का नाम कल्याणी देवी के नाम पर रखा गया है।
  • कावेरी नदी के डेल्टा भारत के सबसे सुपीक प्रदेशों में से एक है।
  • कावेरी नदी पर स्थित होगेनक्कल जलप्रपात भारत के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में से एक है।

कावेरी जल विवाद

कावेरी नदी का जल कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के बीच एक विवाद का विषय है। दोनों राज्यों का दावा है कि कावेरी नदी का जल उनका संवैधानिक अधिकार है। इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं। हालांकि, अभी तक इस विवाद का कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

कावेरी जल विवाद भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस मुद्दे का समाधान किए बिना दोनों राज्यों के बीच शांति और समृद्धि स्थापित करना मुश्किल होगा।

यमुना-भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

यमुना नदी भारत की सबसे लंबी सहायक नदी है। यह हिमालय की यमनोत्री से निकलती है और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और दिल्ली राज्यों से होकर बहती है। यमुना नदी की कुल लंबाई 1,376 किलोमीटर (855 मील) है।

यमुना नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्धु, बेतवा और केन उल्लेखनीय हैं। इन सहायक नदियों के कारण यमुना नदी का जल प्रवाह बढ़ता है और नदी का क्षेत्रफल भी बढ़ता है।

यमुना नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, यमुना नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यमुना नदी की विशेषताएँ

  • यमुना नदी भारत की सबसे लंबी सहायक नदी है।
  • यमुना नदी भारत की एकमात्र नदी है जो गंगा नदी से मिलने के बाद भी अपनी पहचान बनाए रखती है।
  • यमुना नदी भारत की एकमात्र नदी है जो दिल्ली से होकर बहती है।

यमुना नदी का महत्व

यमुना नदी भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना नदी का जल सिंचाई, जलविद्युत, परिवहन और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, यमुना नदी भारत की प्राकृतिक सुंदरता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यमुना नदी का धार्मिक महत्व भी है। यमुना नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है। यमुना नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। इनमें यमनोत्री, हरिद्वार, मथुरा, और आगरा शामिल हैं।

यमुना नदी के प्रदूषण

यमुना नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। यमुना नदी में औद्योगिक कचरा, कृषि अपशिष्ट, और मानव मल-मूत्र प्रवाहित होता है। इन कारणों से यमुना नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।

यमुना नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा यमुना नदी की सफाई के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत यमुना नदी में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

यमुना नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • यमुना नदी का नाम यमराज के नाम पर रखा गया है।
  • यमुना नदी के किनारे स्थित आगरा में ताजमहल स्थित है, जो विश्व के सात अजूबों में से एक है।
  • यमुना नदी पर स्थित हरिद्वार भारत के सबसे पवित्र नगरों में से एक है।

यमुना नदी के प्रदूषण के कारण

यमुना नदी के प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • औद्योगिक कचरा: यमुना नदी के किनारे कई औद्योगिक क्षेत्र स्थित हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला कचरा यमुना नदी में प्रवाहित होता है, जिससे नदी का जल प्रदूषित होता है।
  • कृषि अपशिष्ट: यमुना नदी के किनारे कई कृषि क्षेत्र स्थित हैं। इन कृषि क्षेत्रों से निकलने वाला अपशिष्ट यमुना नदी में प्रवाहित होता है, जिससे नदी का जल प्रदूषित होता है।
  • मानव मल-मूत्र: यमुना नदी के किनारे कई शहर और गाँव स्थित हैं। इन शहरों और गाँवों से निकलने वाला मानव मल-मूत्र यमुना नदी में प्रवाहित होता है, जिससे नदी का जल प्रदूषित होता है।

यमुना नदी के प्रदूषण को रोकने के उपाय

यमुना नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • औद्योगिक कचरे को यमुना नदी में प्रवाहित होने से रोकने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाने चाहिए।

सोन -भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

सोन नदी भारत के मध्य भाग में बहने वाली एक नदी है। इसे सोनभद्र शिला के नाम से भी जाना जाता है। यमुना नदी के बाद यह गंगा नदी की दक्षिणी उपनदियों में सबसे बड़ी है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में अमरकंटक के पास उत्पन्न होती है, जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोतस्थल से पूर्व में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों से गुज़रकर बिहार के पटना ज़िले में गंगा नदी में विलय हो जाती है।

सोन नदी की कुल लंबाई 784 किलोमीटर है। यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुल 13 जिलों से होकर बहती है। सोन नदी की प्रमुख सहायक नदियों में बाणसागर नदी, रिहंद नदी, और कर्मनाशा नदी शामिल हैं।

सोन नदी का जलग्रहण क्षेत्र 65,000 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत की सबसे अधिक जलग्रहण क्षेत्र वाली नदियों में से एक है। सोन नदी का जल मुख्य रूप से वर्षा से प्राप्त होता है।

सोन नदी का जल कृषि, सिंचाई, और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। सोन नदी के किनारे कई बड़े बांध और जलविद्युत परियोजनाएं स्थित हैं।

सोन नदी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है। सोन नदी के किनारे कई प्राचीन किले और मंदिर स्थित हैं। सोन नदी का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।

सोन नदी के कुछ प्रमुख पुल निम्नलिखित हैं:

  • कोइलवर पुल (बिहार)
  • शहडोल पुल (मध्य प्रदेश)
  • डिहरी पुल (मध्य प्रदेश)
  • रीहंद पुल (उत्तर प्रदेश)

सोन नदी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी जल, ऊर्जा, और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। सोन नदी का संरक्षण और विकास करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।

चंबल -भारत की प्रमुख 10 नदियों के नाम

चंबल नदी भारत के मध्य भाग में बहने वाली एक नदी है। यह नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच सीमा बनाती है। चंबल नदी की कुल लंबाई 960 किलोमीटर है। यह मध्य प्रदेश के महू जिले के जनापाव पर्वत से निकलती है और उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी में मिल जाती है।

चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ शिप्रा, काली सिंध, और बनास हैं। चंबल नदी का जलग्रहण क्षेत्र 143,000 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत की सबसे अधिक जलग्रहण क्षेत्र वाली नदियों में से एक है। चंबल नदी का जल मुख्य रूप से वर्षा से प्राप्त होता है।

चंबल नदी का जल कृषि, सिंचाई, और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। चंबल नदी के किनारे कई बड़े बांध और जलविद्युत परियोजनाएं स्थित हैं। चंबल नदी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है। चंबल नदी के किनारे कई प्राचीन किले और मंदिर स्थित हैं।

चंबल नदी के कुछ प्रमुख पुल निम्नलिखित हैं:

  • गांधी सागर बांध पुल (मध्य प्रदेश)
  • राणा प्रताप सागर बांध पुल (राजस्थान)
  • जवाहर सागर बांध पुल (राजस्थान)
  • कोटा बैराज पुल (राजस्थान)

चंबल नदी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी जल, ऊर्जा, और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। चंबल नदी का संरक्षण और विकास करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।

चंबल नदी के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:

  • चंबल नदी का प्राचीन नाम चर्मण्वती है।
  • चंबल नदी के किनारे कई प्राचीन किले और मंदिर स्थित हैं, जिनमें चित्तौड़गढ़, रणथंभौर, और कुंभलगढ़ शामिल हैं।
  • चंबल नदी के किनारे स्थित गांधी सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, और जवाहर सागर बांध भारत के प्रमुख जलाशयों में से हैं।
  • चंबल नदी पर स्थित गांधी सागर बांध भारत का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है।
  • चंबल नदी पर स्थित राणा प्रताप सागर बांध भारत का सबसे ऊँचा बांध है।

चंबल नदी एक सुंदर और महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी भारत के लिए एक राष्ट्रीय संपदा है।

इन नदियों का भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये नदियाँ सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, परिवहन, और मत्स्यपालन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन नदियों के किनारे कई प्राचीन सभ्यताओं का विकास हुआ है।

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