CAPF : केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल हो रहे परेशान पिछले पांच वर्षों में 47000 ने ले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स में बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी क्या मजबूरी है कि पिछले पांच वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 46960 जवानों/अधिकारियों ने नौकरी छोड़ दी।

बीएसएफ में 21860 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। इस मामले में सीआरपीएफ का दूसरा नंबर है। सीआरपीएफ में 12893 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का दावा है कि इन बलों में सब ठीक है, समय पर कैडर समीक्षा हो रही है। भरपूर सुविधाएं मिल रही हैं।

पदोन्नति में ठहराव को कम करने के लिए 10, 20 व 30 वर्ष की नियमित सेवा के अंतराल में तीन वित्तीय अपग्रेडेशन प्रदान किए जा रहे हैं। सैनिक सम्मेलन हो रहे हैं। बल के पूर्व अफसरों का कहना है कि अगर सब कुछ सही है तो इतने बड़े स्तर पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति क्यों ली जा रही हैं।

क्या इन्हीं वजहों से नौकरी छोड़ रहे हैं बल कर्मी

बीएसएफ के पूर्व एडीजी संजीव कृष्ण सूद कहते हैं, कई जगहों पर वर्कलोड ज्यादा है। जवान ठीक से सो नहीं पाते हैं। वे अपनी समस्या किसी के सामने रखते हैं, तो वहां ठीक तरह से सुनवाई नहीं हो पाती। ये बातें जवानों को तनाव की ओर ले जाती हैं। कुछ स्थानों पर बैरक एवं दूसरी सुविधाओं की कमी नजर आती है।

कई दफा सीनियर की डांट फटकार भी जवान को नौकरी छोड़ने या आत्महत्या की तरफ ले जाती है। समय पर प्रमोशन या रैंक न मिलना भी जवानों को तनाव देता है। कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह के मुताबिक, बल कर्मियों को ड्यूटी पर क्या परेशानी है, इस बारे में सरकार कोई बात नहीं करती।

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आतंक, नक्सल, चुनावी ड्यूटी, आपदा, वीआईपी सिक्योरिटी और अन्य मोर्चों पर इन बलों के जवान तैनात हैं। इसके बावजूद उन्हें सिविल फोर्स बता दिया जाता है। जवानों को पुरानी पेंशन से वंचित रखा जा रहा है। सिपाही से लेकर कैडर अफसरों तक की प्रमोशन में लंबा वक्त लग रहा है। नतीजा, जवान टेंशन में रहने लगते हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भारतीय सेना के बराबर शहीद का दर्जा मिले। इन बलों के लिए पुनर्वास और पुनःस्थापन बोर्ड गठित किया जाए।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPF) से मोहभंग के कई कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • अधिक कार्यभार और तनाव: CAPF के जवानों को कई प्रकार की चुनौतीपूर्ण ड्यूटी पर भेजा जाता है, जिसमें आतंकवाद विरोधी अभियान, नक्सलवाद विरोधी अभियान, सीमा सुरक्षा, चुनावी ड्यूटी, आपदा राहत और वीआईपी सुरक्षा आदि शामिल हैं। इन ड्यूटी के कारण जवानों पर अधिक कार्यभार पड़ता है और वे मानसिक और शारीरिक रूप से तनाव में आ जाते हैं।
  • प्रमोशन में देरी: CAPF में प्रमोशन में बहुत देरी होती है। सिपाही से लेकर कैडर अधिकारियों तक के प्रमोशन में कई साल लग जाते हैं। इससे जवानों में निराशा होती है और वे अपना भविष्य अंधकारमय समझने लगते हैं।

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  • कम वेतन और सुविधाएं: CAPF के जवानों को भारतीय सेना के जवानों की तुलना में कम वेतन और सुविधाएं मिलती हैं। इससे जवानों में असंतोष होता है।
  • पारिवारिक जिम्मेदारियां: कई जवानों के पास परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां होती हैं। वे अपने परिवार के लिए अधिक समय और ध्यान देने की इच्छा रखते हैं। CAPF में ड्यूटी की प्रकृति ऐसी होती है कि जवानों को अक्सर परिवार से दूर रहना पड़ता है। इससे जवानों में तनाव और चिंता बढ़ जाती है।

इन कारणों से CAPF से मोहभंग हो रहा है। पिछले पांच साल में CAPF के 47,000 जवानों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। यह एक चिंताजनक स्थिति है। सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और CAPF के जवानों के लिए बेहतर सेवा शर्तें और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने चाहिए।

यहां कुछ विशिष्ट सुझाव दिए गए हैं जो CAPF में मोहभंग को कम करने में मदद कर सकते हैं:

  • कार्यभार में कमी और तनाव कम करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
  • प्रमोशन में देरी को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
  • CAPF के जवानों को भारतीय सेना के जवानों के बराबर वेतन और सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
  • CAPF के जवानों को परिवार के साथ अधिक समय बिताने के लिए अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

इन सुझावों को लागू करने से CAPF में जवानों के मनोबल में सुधार होगा और मोहभंग की समस्या कम होगी।

साल 2019 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति …

असम राइफल 1307
बीएसएफ   3847
सीआईएसएफ  540
सीआरपीएफ   2481
आईटीबीपी     337
एसएसबी       415
कुल            8927

साल 2020 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति …

असम राइफल  1018
बीएसएफ      3310 
सीआईएसएफ  469
सीआरपीएफ   1320
आईटीबीपी     423
एसएसबी       342 
कुल            6882

साल 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

असम राइफल  383 
बीएसएफ      5235  
सीआईएसएफ  645
सीआरपीएफ   3501 
आईटीबीपी    652
एसएसबी       396  
कुल           10812


साल 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

असम राइफल  1188
बीएसएफ      5341 
सीआईएसएफ  762
सीआरपीएफ   3019
आईटीबीपी     545
एसएसबी       314  
कुल            11169

साल 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

असम राइफल  1280
बीएसएफ       4127 
सीआईएसएफ   596
सीआरपीएफ    2572
आईटीबीपी      324
एसएसबी        271  
कुल             9170

गृह राज्य मंत्री ने बताया व्यक्तिगत और घरेलू कारण

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले दिनों राज्यसभा में बताया, सीएपीएफ और असम राइफल ‘एआर’ में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों की संख्या वर्ष दर वर्ष बदलती रहती है। इस संबंध में कोई स्थिर प्रवृत्ति नहीं देखी गई है। बलों द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के कारण, व्यक्तिगत और घरेलू बताए गए हैं। इनमें बच्चों/पारिवारिक मुद्दे, स्वयं या परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, सामाजिक/पारिवारिक दायित्व एवं प्रतिबद्धताएं, बेहतर करियर के अवसर आदि प्रमुख कारण हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मियों की संख्या कम करने के लिए, सरकार द्वारा कई तरह के कदम उठाए गए हैं।

गृह राज्य मंत्री का दावा

  • समय पर कैडर समीक्षा करना
  • संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति योजना ‘एमएसीपी’ प्रदान करना, जिसके पदोन्नति में ठहराव को कम करने के लिए 10, 20 व 30 वर्ष की नियमित सेवा के अंतराल में 3 वित्तीय अपग्रेडेशन प्रदान करना।
  • अत्यधिक कठिन और कठिन क्षेत्रों में तैनात इकाइयों का सामान्य क्षेत्रों में तैनाती के लिए रोटेशन करना, सेवानिवृत्ति के अंतिम दो वर्ष के दौरान गृह नगर के निकट पोस्टिंग देना।
  • सभी फील्ड फार्मेशन में बुनियादी ढांचे का विकास करना
  • ब्रीफिंग/डीब्रीफिंग, रोल कॉल व सैनिक सम्मेलन के दौरान सभी स्तरों पर उचित परामर्श/ब्रीफिंग करना, अधीनस्थों से कार्य कराने में संवेदनशीलता और मानवीय रवैया अपनाए जाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को ब्रीफ किया जाता है।
  • मनोरंजन सुविधाओं, बुनियादी सुविधाओं, टेलीफोन सुविधाओं, स्थानीय वायरलैस प्रणाली तथा शिकायत निवारण का प्रावधान करना
  • तनाव, अवसाद और मनोवैज्ञानिक चिंताओं को कम करने के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं की शुरुआत करना, पीएम छात्रवृत्ति, योग, ध्यान सत्र व आर्ट ऑफ लिविंग कक्षाएं आयोजित करना
  • रियायती कीमतों पर उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति के प्रावधान के साथ कंटीन सुविधाएं प्रदान करना, महिला कर्मियों के लिए काम करने की स्थिति में सुधार के तहत क्रेच स्थापित करना
  • उच्चतर शिक्षा, कंप्यूटर, प्लॉट/फ्लैट की खरीद के लिए ऋण देना तथा चिकित्सा सुविधाएं आदि।

स्रोत _अमर उजाला

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